रक्त मोक्षण :- शरीर में स्थित दूषित रक्त को बाहर निकालने की क्रिया को रक्तमोक्षण कहा जाता है। 1- जलौका वचारण 2- शिरावेध रक्तमोक्षण के योग्यः-त्वचा रोग (Psoriasis, Leucoderma, Alopecia, Gout) वातरक्त, बवासीर आदि रोगो में रक्तमोक्षण किया जाता है। समय - साप्ताहिक, चिकित्सक निर्देशानुसार। पूर्वोक्त पाँच प्रकार के कर्म शरीर शोधन के लिए किये जाते है। कुछ विविध प्रकार के और चिकित्सा का वर्णन है, जो व्याधियों के उत्पन्न होने पर उस व्याधि की चिकित्सा के लिए प्रयोग किये जाते है। अतः उन्हे प्रायोगिक पंचकर्म कहा जाता है।