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  • Dhoomapana

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Dhoomapana

धू्रमपान:- इस प्रक्रिया में औषधीय चूर्ण की बत्ती बनाकर उसे जलाकर उसके धुएँ को नाक से खींचकर मँुह से निकाला जाता है। योग्य - कफज रोग, मुख रोग, गला रोग, शिरो रोग, नेत्र रोग, कर्ण रोग एवं वमन कर्म के बाद किया जाता है। समय - 15 मिनट नस्य कर्म के बाद