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Virechana Karma(Purgation)

विरेचन कर्म:- तंत्रदोषहरणं अधोभागं विरेचनसंज्ञकम्। पित्तज दोषों को अधोभाग (गुदामार्ग) द्वारा बाहर निकालने की प्रक्रिया विरेचन कहलाती है। विरेचन का काल-शरद बसन्त ऋतु, एवं चिकित्सक के निर्देशानुसार समय - 05 से 09 दिन। विरेचन के योग्य:- ज्वर, कुष्ठ (चर्म रोग) प्रमेह (मधुमेह) बवासीर, भगन्दर, रक्तपित्त, कामला (Jaundice), यकृत शोथ, (Hepatitis), शिरो रोग, नेत्र रोग, श्वांस, उन्माद, हृदय रोग, अपस्मार, वातरक्त (Gout) शोथ (सूजन) श्लीपद, श्वेत प्रदर, ग्रंन्थि रोग, उदर रोग एवं मूत्रगत व्याधियों में विरेचन कराया जाता है।